अनाथ

 


 


 

 

कल रात माँ सपने में आई 

देखा उनींदी आँखों से इक 

सुंदर लोरी उसने सुनाई 

देकर थपकियाँ प्यार से 

पास मेरी वो बैठी दिखलाई 

 

गोद  में रखकर सिर मेरा सहलाते हुए 

माँ  बोली ढेर सारा प्यार करूंगी तुझे आज 

पूछा मैंने अचरज पाकर प्यार ये क्या होता है 

माँ कुछ सकुचाई फिर हाथ अपना मेरे 

माथे पर ले आई 

मुस्कुराते हुए बोली लाड वही जो सब 

तुमसे करते है 

 

मैंने तो कभी ये प्रेम नहीं किसी से पाया 

कोई नहीं मेरे माथे पर हाथ रख सहलाया 

मैं तो भूखा ही सो जाता हूँ न कोई लोरी 

न कोई पुकार अपने समीप पाता  हूँ 

 

लगता है कभी तुम आओगी 

प्यार से मुझे बुलाओगी 

बैठा गोदी में अपनी दूध रोटी खिलाओगी 

 

प्यार तो मैं कहीं भी न पाता  हूँ 

जाता हूँ जिस गली केवल अनाथ कहलाता हूँ 

भीगते  नयनों  से आँचल में भरकर  माँ बोली 

सूरज सा चमकेगा तू मेरा लाल 

रखना बार ये हमेशा याद 

सबसे न्यारा है तू नहीं है अनाथ  |