बोलो न क्या लिखूं
बोलो न क्या लिखूं
शेरों शायरी कविता लिखूं
या फिर अपने जज़्बात लिखूं।
तुम्हारी आँखों को मयखाना या
होठों को शराब लिखूं।
तुमको मीठी ग़ज़ल या जरूरी
सी कोई बात लिखूं।
गुजरा सा एक पल लिखूं
या फिर मेरे दिन रात लिखूं।
सुहाना सफर या मंज़िल लिखूं।
एक हकीकत या सुनहरा ख़्वाब
लिखूं ।
दिल को मंदिर तुमको प्यार की
मूरत लिखूं ।
महकता सा आँचल या सोलह
सिंगार लिखूं ।
आंखों का नशा या फिर वो
दिलकश मुस्कान लिखूं ।
मेरा अलबेला सा दिल
या फिर छलकते से जज़्बात लिखूं ।
बहता दरिया प्यार का या
दिल का हाल लिखूं ।
खिलता गुलशन या उसकी
बहार लिखूं ।
मोहब्बत का मेरी इजहार या फिर
तुम्हारा इन्तज़ार लिखूं ।
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