ईमानदार नौकर !!  एक ईमानदार नौकर की कहानी  !! Moral Hindi Story on Honesty !! 


 

 

 

 

 

 

 

एक गांव में एक बनिया रहता था।बनिया का बहोत बड़ा व्यापार था।उसके पास प्रतिदिन बहोत सारे रुपये आते जाते थे।

उसके यहाँ  एक बहुत ही चतुर नौकर काम किया करता था। वह मेहनती होने के साथ साथ ईमानदार भी था। वह हर कार्य को बड़ी ही होशियारी से निपटा लेता था।
बनिया जो कुछ भी कहता उसे वह कुछ ही मिनटों में कर लेता था।

कभी कभी वह बिना कहे ही अपने सेठ जी की मर्जी समझ लेता । जो भी ग्राहक दुकान पर आते उनको अकेले ही और आसानी से सामान बेच देता था।

एक बार एक बूढ़ी महिला राशन लेने आती है।
मुझे तीन किलो राशन चाहिए,बूढ़ी महिला ने कहा।

नौकर उसे राशन देने लगा ।
कितने का है महिला ने पूछा 
300 रुपये कहते हुए नौकर ने तोलकर  राशन का थैला महिला के आगे कर दिया।
महिला ने उसे 300 रुपये दिए और राशन लेकर चली गई।

सेठजी सब देख रहे थे।
तभी एक युवक वहां आया और  कहने लगा उसे दाल चावल और तेल साबुन चाहिये।
नौकर उसकी बात सुनकर समान लेने अंदर चला गया ।तभी उस युवक ने कुछ सामान अपने थैले में डाल लिया और चुपचाप खड़ा हो गया।

नौकर अंदर से सामान लेकर आया और कहा 370 रुपये हो गए।
युवक ने चौकते हुए पूछा लेकिन मैंनें तो 270 रुपये का ही समान लिया है।
नौकर ने मुस्कुराते हुए कहा जो आपने थैले में रखा है उस समान की कीमत 100 है ,उसे  मिलाकर बता रहा हूँ।
युवक शर्मिंदा होकर भागने लगा।
नौकर ने कहा अरे रुकिए
युवक रुककर हाथ जोड़ते हुए बोला मुझे माफ़ कर दीजिए ओर 370 रूपये देकर वह समान लेकर चला गया।
सेठ जी नौकर के पास जाकर बोले तुझे कैसे पता कि उसने अपने थैले में समान रखा है।
कुछ नही सेठ जी बस में उसपर नज़र रख रहा था और मुझे पता चल गया कि वह कुछ चुरा रहा है।
बनिया आश्चर्य से उसकी तरफ देखता रह गया।

एक दिन बनिये का लड़का दुकान पर आया।उसने बनिये से कहा कि जिस नौकर पर वो भरोसा करता है वह बहोत बेइमान है। रुपयों की चोरी करता है और शराब में उड़ाता है।
बनिये को उसकी बातों पर विश्वास नही हुआ लेकिन उसने कहा कि वह साबित कर सकता है।इस पर सेठ भी चुप रह गया।
अगले दिन जब वह काम पर आया और अपना काम करने लगा ।तभी सेठ के लड़के ने उसे कुछ सामान लाने का कहकर बाजार भेज दिया ।
जब वह वापस आया तो बनिये के लड़के ने कहा कि तूने 3000 रुपये चुराए है।
नौकर आश्चर्य में पड़ गया कि ये सब क्या हो रहा है।
उसे समझ नही आ रहा था।तभी बनिये के लड़के ने सेठ से कहा इस के थैले में देखते है।जरूर इसने इसी में रखे होंगे।जैसे ही उसने थैला खोल उसमे 3000 रुपये बिखरे हुए पड़े थे।
नौकर बहोत घबरा गया,ओर हाथ जोड़ने लगा और बोला सेठजी मैंने कुछ नही किया 
मैं चोर नहीं हूं।ये किसी की चाल है सेठजी।मेरी ईमानदारी पर शक मत कीजिये।आप बहोत पछतायेंगे।
सेठ ने कहा सच बता नही तो तुझे पुलिस के हवाले कर दूंगा।
ये रुपये मैंने नही चुराए सेठ जी।
पता नही कैसे ये मेरे थैले में
मैंने आपके यहाँ कई सालों बहोत ईमानदारी से कम किया है।मुझे पुलिस के हवाले मत कीजिये।
ठीक है तू यहां से अभी निकल जा ओर फिर कभी अपनी सूरत मत दिखाना।
नौकर रोते हुए वहां से चला गया।
दूसरे दिन बनिया अकेला ही दुकान पर बैठ गया।उसका लड़का भी वही पर पिताजी के साथ काम मे हाथ बटा रहा था।ग्राहक आते तो उसका बेटा समान तोलकर देने लगा । 

सेठजी ने अपने बेटे से कहा मैं किसी काम से बाजार जा रहा हूँ।तुम दुकान का ध्यान रखना और ग्राहक को बराबर समान देना।तब तक मैं लौट आऊंगा।
ठीक है कहकर लड़के ने अपना काम करना शुरू कर दिया।
वह कुछ देर तक बराबर काम करता रहा।उसके बाद वहां से उठकर दुकान के पीछे गोदाम में चला गया
वहां से उसने शराब की बोतल उठा ली और पीने लग गया।गल्ले में पड़े कुछ रुपये उसने उठाकर अपने पास रख लिए।
थोड़ी देर बाद बनिया वहां आया ।उसने गल्ले में कुछ रुपये कम लगे तो उसने लड़के से पूछा इसमें कुछ रुपये कम है
नही पिताजी आज इतनी ही कमाई हुई है।
बनिया कुछ सोचने लगा और वहां से चला गया।
दूसरे दिन फिर बनिया बाजार गया और दुकान के गल्ले में रखे रुपये गिनकर गया ।उसमे 4000 रुपये रखे थे। सेठ ने अपने लड़के से कहा मुझे कुछ काम से बाजार जाना है।अभी आता हूँ तब तक तुम दुकान का ध्यान रखना।यह कहकर सेठ चला गया।
आज उसे थोड़ा ज्यादा समय लग गया।वापस आने में उसे शाम हो गई।उसने आकर बेटे से पूछा आज का व्यापार कैसा रहा।लड़का बोला पिताजी सिर्फ 2000 रुपये का व्यापार हुआ है।बनिये ने अच्छा बेटा कोई बात नही।कहकर वह अपनी कुर्सी पर बैठ गया।

बनिया मन ही मन अपने ईमानदार नौकर की ईमानदारी को याद करने लगा और सोचने लगा कि वह सच कह रहा था ।मैंने उसकी बातों पर विश्वास नही किया और उसे निकाल दिया।
फिर उसने सोचा कि वो अपने लड़के को रंगे हाथों पकड़कर सबक सिखाएगा।

दूसरे दिन बनिया दुकान पहुँचा।कुछ देर बैठने के बाद उसने अपने लड़के से कहा मुझे आज कुछ जरूरी काम अचानक आन पड़ा है।मुझे शाम हो सकती है आने में तुम दुकान का ध्यान रखना ।कहकर वह वहां से चला गया।

कुछ देर तक लड़का काम करता रहा ,उसके बाद हमेशा उसने गल्ले में से कुछ रुपये निकाले।जैसे ही उसने रुपये अपनी जेब मे रखे , सेठ जोर से चिल्लाया। रुपये वही रख दे बदमाश।लड़का बहोत घबरा गया और रुपये उसके हाथ से छूट गए।
पिताजी आप
हां ,मैं तुझे रंगे हाथों पकड़ना चाहता था।रोज तू मुझसे झूठ बोलकर चोरी करता था और इल्ज़ाम उस
निर्दोष नौकर पर लगा देता था। मैंने तेरी बात पर विश्वास करके उसे निकाल दिया। वो ही मेरा बहोत ईमानदार नौकर था।
अब तू निकल जा यहां से और कभी अपनी शक्ल मत दिखाना।

सीख:- कभी कभी हम अपने परायों में इतना भेदभाव करके अंधे हो जाते है की सच को भी अनदेखा कर देते है। नौकर सेठ का अपना नही था फिर भी बहोत ईमानदार था। फिर भी सेठ ने उसपर विश्वास न करके अपने लड़के का साथ दिया।बाद में बनिये को सच्चाई मालूम हुई,तब वह बहोत पछताया।
 
 
 
दोस्तों कैसी लगी आपको  इक ईमानदार नौकर की ये कहानी कमेंट करके जरूर बताइयेगा ,अब अगली कहानी में आपसे जल्द ही मुलाक़ात होगी तब तक के लिए बाय दोस्तों