तुम
तुम कैसे कहूं तुम कौन हो
मन का मीत जीवन का संगीत हो
कभी धूप कभी छांव हो
मेरे मन रूपी नाव की पतवार हो
मेरा आज मेरा कल भी तुम हो
मेरा अतीत भी तुम भविष्य भी तुम हो
मेरा रूठना भी तुम मनाना भी तुम हो
मेरी आन भी तुम मेरी शान भी तुम हो
मेरा रूप भी तुम मेरा सिंगार भी तुम हो
मेरे शब्द भी तुम मेरी आवाज भी तुम हो
मेरा शरीर भी तुम मेरी परछाई भी तुम हो
मेरे जीवन रूपी नदी में बहती तेजधार हो तुम हो
तुम ही से मेरी गति तुम्ही से दिशा मेरा आरंभ भी तुम हो
मेरी इति भी तुम कैसे कहूं तुम कौन हो ||
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