सो गया मैं तो
 
 
 
 
 
 सो गया मैं तो गहरी नींद में क्यों मुझे जगा रहे हो याद आऊंगा 
सबको फिर भी मुझे भुला रहे हो।
जा रहा हूं छोड़कर साथ सबका फिर क्यों मुझे बुला रहे हो
सोने जा रहा हूं मैं ओढ़कर मिट्टी फिर क्यों मुझे नहला धुला कर
 अबीर गुलाल लगाकर सजा रहे हो
था मैं सगा सबका फिर क्यों आज मुझे दिल से भुला रहे हो
न लगाया गले कभी किसी ने आज फिर सभी
गले लगा रहे हो
कल तक मैं आज था अब से अतीत हो जाऊँगा
ये मुझे बतला रहे हो
बैठाकर चार कंधों पे सब मुझे ले जा रहे हो
समाप्त हुई मेरी यात्रा देने विदाई सब मुझे चले आ रहे हो।।