।।लो आई है फिर से नई सुुुबह।।

लो आई है फिर नई सुबह,उठो जागो,चलो बढते चलो।
रुकना न कही मुसाफिर,रुकना न कहीं भाई तुम थककर

देखना न कहीं रुककर,आई है नई सुबह देखो नएअरमान
लेकर।आज गगन भी नया,चाँद भी नया सितारे भी नए।।

चमन में नई कलियां खिली देखो अपने अंदर के विश्वास को जगाओ,हँसाओ उस रोते हुए दिल को जो कबसे रो रहा।।

इस नई शीतल हवा में बह चलो,मन्द मन्द मुस्कुराओ
गीत नया गुनगुनाओ।फिर देखो कैसा करिश्मा होता है

फिर कोई नही सोता है हारकर,जियेंगे सब जीतकर मुस्कुराकर ।तुम भी नया कोई सपना तो बुनो।।

कुछ तो खुद के लिए चुनो।पाओगे मंजिल तुम ही बनोगे विजेता तुम ही कुछ वचन  खुद से तो करो।।

ये गगन भी तुम्हारा चाँद भी तुम्हारा हिम्मत तो करो।
चली है फिर सुगन्धि हवा,लो आई है फिर नई सुबह।।


                    ।। कविता चौहान।।


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