Poem on India in Hindi || भारत विश्व गुरु|| 
 Bharat Desh Bhakti Kavita

 
सभ्यता इसकी सदियों पुरानी
ऋषि मुनियों की अमर कहानी
विकास की नव इभारत शुरू
अब बनेगा भारत विश्व गुरु।

सोने की चिड़िया कहलाया
शहीदों ने सर्वस्व लुटाया
आज़ादी की वो लड़ाई
भारत माँ की लाज बचाई।

संस्कृति, सभ्यता प्राचीन सी 
धर्म,संस्कार आस्था पुनीत सी
भारत सा कोई न हो पाया
परचम सर्वत्र ही लहराया।

आफ़ताब, चाँद  छूकर आया
भारतवर्ष ने रंग दिखलाया
स्वर्णिम अक्षर में अंकन होगा
विश्वगुरू सा आकलन होगा।

नदियाँ, नारी पूजी जाती
संस्कृति ये सर्वोच्च कहलाती
हो हिंदू, मुस्लिम, सिख,ईसाई
बनकर रहते भाई भाई।

राम रहीम कृष्ण या मीरा
रुक्मिणी, राधा संग सी लीला
शिवाजी ,नानक गौतम गाँधी
सत्य,वीरता की इक आँधी।

आर्यभट्ट ने शून्य बतलाया
रामानुजन ने प्रमेय सिखाया
पृथ्वीराज की वीरता न्यारी
विक्रम,शिवाजी सब पर भारी।

वेदों की महिमा निराली
पुराण,ग्रँथों की अब बारी
बाइबिल, कुरान,भगवद गीता
अहिल्या,मनु,वो जानकी सीता।

वीर भगतसिंह,मंगलपांडे
हैरत अजब थे कारनामे
पल वो यूँ ही स्वर्णिम आया
भारतवर्ष विश्वगुरु कहलाया।