Lovely Poem Of Mahakal||बाबा महाकाल पर एक प्यारी सी कविता||राजाधिराज महाकाल.||




प्रजा का यूँ हाल जानने
जनजन का वो भाव मानने
सब झूमे नाचे और गाये
राजाधिराज महाकाल आये।

महाकाल के स्वरूप निराले
कितने पावन ओज वाले
धरा दीप्ति मय पावन हुई
उज्जैनी तो आज धन्य हुई

चंद्रमोलेश्वर पालकी बसते
मनमहेश हाथी पे विराजते
गरुड़ रथ शिव तांडव करते
रूप ये सारे खूब ही सजते

देखने महाकाल  सवारी
चल दिये यूँ सब नर नारी
राजा का वैभव अनोखा
मस्त पवन का सुगंधित झोंका

हवा में जयघोष फैल गया
मनुज ठहरने को आतुर हुआ
पट गए गली और चौबारे
जय महाकाल सब पुकारे

हाथी, घोड़े,पालकी लिए
खड़े सैनिक  अनंत सेना लिए
बहती चहुँओर सुगन्ध न्यारी
भूले सब गम दुश्वारी सारी

अपलक नेत्रों से निहारते
पाने को इक झलक तरसते
नभ भी आज स्वागत करता
बाबा का अभिनंदन करता

खास है आज दिन ये कितना
रूप सजा है शिव का इतना
बैंडबाजे,ताशे बजाना
बाबा का जयकारा लगाना

संयोग ये अजब अद्भुत बना
है नीलगगन भी सुंदर सजा
भक्तिमय बादल सर्वत्र छाये
राजाधिराज महाकाल आये।