कंचन पढाई में बहुत होशियार और मेहनती लड़की थी।वह एक पढी लिखी लड़की थी।उसकी एक सहेली थी  जो स्कूल कें समय में उसकी बेस्ट फ्रेंड थी । एक दिन उसका काॅल आया , लेकिन कंचन उसका नंबर नही पहचान सकी, क्योकि वह एक अज्ञात नम्बर से आया हुआ फोन था ।

हेलो , कौन ?
मैं नंदिता बोल रही हूँ।
कौन ?
अरे पहचाना नही ।यार मैं तेरे साथ 12 वी क्लास में पढती थी। हम दोनो खूब मस्ती किया करते थे ।

ओके कहते हुये कंचन ने उसे पहचान लिया दोनो मे खूब बाते हुई ।

नंदिता एक शादीशुदा महिला थी जबकी कंचन ने अभी तक शादी नही की थी वह अपने कैरियर पर फोकस कर रही थी बातो ही बातों मे नंदिता ने उसके पड़ोस में रहने वाले एक लड़के का जिक्र किया ।
उसका नाम सत्येंद्र था । 
उसने बताया कि वह बहुत ईमानदार , शरीफ और अच्छा लड़का है। पहले कंचन ने कोई दिलचस्पी नही ली  , वह सिर्फ अपने काम पर ही ध्यान दे रही थी । 
नंदिता ने कंचन का नम्बर सत्येंद्र को दे दिया वह कंचन को काॅल करने लगा  
कंचन को यह सब अजीब लग रहा था वह सत्येद्र को कभी-कभी इग्नोर कर दिया करती थी।
एक दिन कंचन के पिताजी की तबियत बहुत खराब हो गई ।उन्हे लकवा हो गया था।
वह बहुत चिंतित थी । तभी सत्येंद्र का फोन बज उठा । कंचन कुछ भावुक हो गई और उसे रोना आ गया अरे तुम रो मत मैं तुम्हारी मदद करुँगा  । तुम्हे कभी भी मेरी जरूरत पड़े तो मुझे फोन कर लेना बस ।
हाँ , कहते हुये कंचन सत्येंद्र से कुछ भावनात्मक रूप से जुड़ने लगी थी । 
कुछ दिन बीते और कंचन के पिताजी का देहांत हो गया ।कंचन बहुत उदास रहने लगी ।पापा उससे बहुत प्यार करते थे । वह भी पापा के बहुत करीब थी । वह हमेशा गुमसुम और हताश रहने लगी ।

एक दिन अचानक सत्येंद्र का फोन आया और वह उससे मिलने के लिये जिद करने लगा । कंचन उससे मिलने के लिये तैयार हो गई । वह कंचन से मिलने के लिये आया । कंचन उससे पहली बार मिल रही थी उसे कुछ अजीब लग रहा था । फिर कुछ देर बाद वह नाॅर्मल होने लगी सत्येद्र उससे बहुत मीठी और भावुक बाते करने लगा । उसे भी सत्येंद्र से मिलना जुलना अच्छा लगने लगा 
वह हर महीने कंचन से मिलने चला आया करता था । वह भी उसका इंतजार करने लगी । 
एक दिन सत्येंद्र उससे मिलने आया और उसने कंचन के सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया । कंचन एक दम घबरा गई ।सत्येंद्र से उसने सोचने के लिये थोड़ा समय मांगा ।

कुछ दिन बीते कंचन और सत्येंद्र का विवाह हो गया  । वह शादी करके बहुत खुश थी । आँखो में सुनहरे सपने लेकर , वह पिया के घर चली आयी ।
उसकी पहली रात को उसने जो देखा उस घटना ने उसके सपनो को तहस - नहस करके रख दिया । इसकी कंचन ने कल्पना भी नही की थी 
सत्येद्र बुरी तरह शराब पीकर घर में दाखिल हुआ और उसके साथ जानवरो की तरह का सुलूक और मारपीट करने लगा । सत्येद्र का यह रूप देखकर वह बहुत घबरा गई लेकिन किसी से कुछ नही कह सकी सत्येंद्र रोजाना उससे मारपीट करने लगा।
वह काम धंधा भी नही करता था  सारा दिन घर पर पड़ा रहता था दिनभर शराब के नशे मे धुत्त बैठा रहता था। 
एक दिन उसने कंचन को कमरे में बंद कर दिया और उसे भूखा प्यासा रखा ।कंचन भूख प्यास से तड़प कर बेहोश हो गई । कुछ देर बाद वह होश में आई। 
तब सत्येद्र घर पर नही था मौका पाकर वह वहाँ से भाग निकली और घर आकर अपनी माँ से लिपटकर खूब रोई और माँ को अपना सारा दुख -दर्द बताया । माँ ने उसे अपने आँचल में छुपा लिया  ।  कुछ दिन बाद सत्येद्र और कंचन अलग हो गये । कंचन के प्यार और विश्वास का सत्येंद्र ने गला घोंट दिया और उसे धोखा दे दिया। उसका कसूर बस इतना ही था कि उसने विश्वास किया था । लेकिन दोस्तो कुछ लोग प्यार और विश्वास के लायक ही नही होते  । 
जरूर बताइयेगा दोस्तो आपको कहानी कैसी लगी।कमेंट करके अपनी प्रतिक्रियाऐं जरूर दीजियेगा ।

अगली कहानी में फिर मिलेगे।तब तक के लिए
    बाय दोस्तो  ।