चाँद की चाँदनी चमचमाई
चाँद की चाँदनी चमचमाई
मौसम ने यूँ करवट बदली
फ़िजाओं में दिशा दिखलाई
शीतलता ले शरदॠतु आई
चंद्र ने छिटकी चंचल रोशनी
प्रखर सी किरणे उजलाई
धरा ने खूब श्रृंगार करके
छम छम कर नुपूर छनकाई
झूमें तरू मंद पवन के झोंको से
हवा ने निशा को थपकी दी
रात्री हुई गहरी काली
भोर ने ली देखो विदाई
नभ में खिली श्वेत गोलाई
चंद्र पूर्ण कर भद्रा दूर हुई
स्वर्णिम आभा ले रात्री आई
निशा ये शरद पूर्णिमा कहलाई
सोलह श्रंगार करके आज
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