नंद के घर आयो लाल

 

 

 


 

 

नंद के घर आयो लाल 

जननी थी देवकी और वासुदेव की संतान 

निकल पड़े वासुदेव धरकर इक टोकरी में 

सौंपने  नंद को बालगोपाल 

मुखड़े पर थी इक प्यारी मुस्कान

 

दिखा रही थी यमुना रूप विकराल 

आंधी तूफ़ान एक तरफ थे 

फिर भी वासुदेव हिम्मत न हारे 

चल रहे थे कान्हा को थामे 

 

पीछे शेषनाग भी रखवाली करते 

वासुदेव के संग विचरते 

गोकुल में दोनों आये 

यशोदा को  दियो लल्ला थमाए 

 

 वापस पहुंच चुपके से मथुरा आये 

जकड़ बेड़ियों में दियो बैठाय 

दरबान जागे बात ये कंस तक 

दियो पहुचाय 

 

देख रहा कंस आँखे फाड़कर 

अचरज करता तलवार तानकर 

था गोकुल पहुंच चुका बालक वो जानकर 

 

गोकुल में फ़ैल गई खुशियां सारी 

देखते थे सब लल्ला को बारी बारी 

सबने मिलकर जश्न मनाया 

जग का उद्धार करने कृष्णा इस धरती पर आया 

 

                 "जय श्री कृष्णा"