आओ फिर शुरुआत करें



 

 



 

 

भूल चलें अब शिकवा और 

शिकायत को ,

जहां खुशी हो वैसा नगर

बसाते हैं ,

आओ फिर शुरुआत करें !


बिखरा पड़ा हुआ आंगन को

पुनः संवारे ,

जो रिश्तों पर चढ़ी हुई 

वह धूल झाड़ लें ,

आओ इक दूजे से मिलकर

बात करें !

आओ फिर शुरुआत करें !


विश्वासों का रंग अगर कुछ

लगे चटकने ,

उन दीवारों को रंगों से

रौशन कर दो ,

विश्वासों के साथ कभी 

मत घात करें !

आओ फिर शुरुआत करें !


छाया है घनघोर अंधेरा 

पथ पर सारे ,

और घरों में सन्नाटा केवल

पसरा हो ,

दिया जलाकर आगत का

सत्कार करें !

आओ फिर शुरुआत करें !


प्रेम कहीं खो गया ,स्नेह

अब बौना है ,

हर आंगन में टूटा पड़ा 

खिलौना है , 

आज पुनः मिल अपनेपन की

बात करें !

आओ फिर शुरुआत करें !


नागफनी अब गमलों में

उग आई है ,

और क्यारियों में अनचाहे

शूल भरे ,

उन जगहों को फूलों से

आबाद करें !

आओ फिर शुरुआत करें !


यहां वहां खुशियों का दामन

बिखरा है ,

ममता   बंदी   नफरत   की

दीवारों में ,

नए नीड़ का तुम फिर से

निर्माण करें !

आओ फिर शुरुआत करें !


बिस्तर पर सिलवटें धूल की

चादर है ,

और बगल में नफरत का

इक गागर है ,

इक दूजे का हाथ पकड़ कर

बढ़ा करें !

आओ फिर शुरुआत करें !


शायद कुछ कड़वाहट

आया रिश्तों में ,

किया विषैला वह सारे

पकवानों को ,

मधुर प्रेम का रस उसमें तुम

पुनः भरें !

आओ फिर शुरुआत करें