मुझे मना लेना
कभी रूठ जाऊँ तो प्रियतम
आकर मुझे मना लेना ,
किसी बात पर हो बिगाड़ तो
बिगड़ी बात बना लेना !
खुदा नहीं हूं शायद मैं भी
बस केवल इक नारी हूं ,
गलती अगर कभी कर बैठूं
दिल से उसे भुला देना !
अगर हाथ छूटे मेरा तो
कसकर उसे पकड़ लेना ,
रिश्ता लगे पराया तो तुम
अपनापन जतला देना !
गहन अंधेरा शक बन जाए
तो कोई भी बात नहीं ,
दीप एक विश्वास भाव का
भीतर कहीं जला लेना !
कड़वाहट रिश्तों में आए
तो मेरी फरियाद सुनो ,
धीरे से मीठी इक गोली
उसमें जरा मिला देना !
अगर वहम की दीवारें हो
तेरी राहें रोक खडी ,
इंतजार मत करना पल भर
उसको तुरत गिरा देना !
मेरी बातें ना भाए तो दिल से
नहीं लगाना तुम ,
करके मुझको याद हृदय से
उसको वहीं भुला देना !
हो जाये गर राह जुदा पर
मुझसे दूर न जाना तुम ,
मेरी खातिर ,मेरे प्रियतम
नूतन राह बना लेना !
हँसना सीखा हूं तुमसे मैं
मुझको नहीं रुला देना ,
संग हमारे हंसते-गाते
सारी उम्र बिता लेना
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