प्रफुल्लित हो कि स्वतंत्र हो

 

 

 

 


 

प्रफुल्लित हो कि स्वतंत्र हो
पराधीनता है मृत्यु तुल्य
स्वछंद हो।

सांसे है हर बन्धन से मुक्त
न रोआँ है कर्ज में डूबा
उत्सव है जीवन का बड़ा

उड़ता जब परिंदा आकाश में
अपने पंख फैलाये
सौभाग्य है उपहार है
सबसे अनोखा उसका

जीवन अमूल्य है
प्रसन्न्ता आनंद से उल्लास ग्रहण हो
स्वतंत्रता का वरण हो

उत्सव है स्वतंत्रता
सुगम पथ संचालन जीवन का
सरल हर आगमन हो

अनमोल है स्वतंत्रता
विचारों की स्वछंदता
व्यवहार की उत्कृष्टता
प्रफुल्लित हो कि स्वतंत्र हो।।