संत हुआ एक दुबला पतला
सन्त हुआ एक दुबला पतला
पहने था जो सफेद धोती
चलता जैसे बिजली सी गति
उसने हाथ मे थी लाठी उठाई।
पोरबंदर गुजरात मे जनमे
करने चले बेरिस्टर की पढ़ाई।
चरखा रोज चलाया करते
करते थे वस्त्रों की बुनाई।
निकल पड़े अकेले ही मशाल लेकर
नई अलख जगाई।
कूद पड़े संग्राम में सत्य और अहिंसा के बल से आज़ादी जीत लाई।
अकेले बिना शस्त्र के फिरंगियों को धूल चटाई।
प्रेम और शांति से देश को गुलामी की बेड़ियों से आजादी की राह दिखाई।
करके आंदोलन इतने सारे एक नई मुहिम चलाई।
थककर भागे फिरंगी
ऐसी योजना बनाई।
फिर देश ने आजाद एक
उपहार में पाई।
त्याग और बलिदान ने उसके देश
को नई पहचान दिलाई।।
याद करके बलिदान को उसके
देश में राष्टपिता की जगह बनाई।।
ऐसे युगपुरुष बापू गांधी के जन्मदिन की बधाई।।
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